रे मन प्रति स्वाश पुकार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे ,
तन नौका के पतवार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे |
जग में व्यापक आधार यही, जग में लेता अवतार वही ,
है निराकार साकार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
ध्रुव को ध्रुव पग दातार यही प्रहलाद गले का हार यही,
नारद वीणा का तार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
सब सुकृतों का आधार यही,गंगा यमुना की धार यही ,
श्री रामेश्वर हरिद्वार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
सज्जन का साहूकार यही , प्रेमी जन का व्यापार यही
सुख सिंधु सुधा का सार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
तन नौका के पतवार यही, जय राम हरे घनश्याम हरे |
जग में व्यापक आधार यही, जग में लेता अवतार वही ,
है निराकार साकार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
ध्रुव को ध्रुव पग दातार यही प्रहलाद गले का हार यही,
नारद वीणा का तार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
सब सुकृतों का आधार यही,गंगा यमुना की धार यही ,
श्री रामेश्वर हरिद्वार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
सज्जन का साहूकार यही , प्रेमी जन का व्यापार यही
सुख सिंधु सुधा का सार यही , जय राम हरे घनश्याम हरे |
तन नौका के पतवार यही...... ....
Very beautiful bhajan, :-)
ReplyDeleteLovely
ReplyDeleteAwesome
ReplyDeleteDil ko chu gaya yah bhajan aapka
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