Friday, 12 April 2019

sarswati vandana




इस गाने के बोल मैंने स्वयं लिखे हैं |

इस झूठी जिव्य्हा से जो भी नाम सरस्वती का लेता है
वाक्यसिद्धि हो जाती है और नाम जगत में पाता है ||

श्वेतवर्ण की माँ कमलासन पे बैठी है ,
श्वेतवस्त्र और श्वेत आभूषण पहन के जगमग करती हैं ,
क्या सुन्दर है रूप माँ का जग मोहित हो जाता है |
वाक्यसिद्धि हो जाती है.......

दश विद्या नव दुर्गा हैं वो नानासत्र से शोभित हैं ,
भयहारिणी भवतारिणी बन कर लोगों का दुःख हरती हैं ,
ऐसी कमला काली माँ के शरण में जो भी आता है |
वाक्यसिद्धि हो जाती है.......

शील और स्नेह सुधा से भरी हैं मेरी जगदम्बे ,
झर झर झर बरसाती ममता  सब पर मैया जगदम्बे,
ऐसी स्नेहमयी माता के शरण में जो भी आता है |
वाक्यसिद्धि हो जाती है.......


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