Thursday, 13 June 2019

Sansaar bhi sakar na hota

  संसार के करतार का आकार न होता तो,
उसका ये संसार भी साकार न होता।

साकार में जाहिर है निराकार की हस्ती,
साकार न होता तो निराकार न होता।
संसार के करतार-  - - - -

हम मान भी लेते की दृष्टि से परे है,
आखों में मगर उसका चमत्कार न होता।
संसार के करतार-  - - - -

व्यापक ही सही सबमे वो रहता मगर कहाँ है ,
रहने का अगर जिस्म का आधार न होता।
संसार के करतार-  - - - -

आँखों से निकलते ना कभी बिंदु के मोती,
निर्गुण का सगुण से जो बंधा तार ना होता।
तो उसका ये संसार भी साकार न होता।
संसार -  - -

8 comments:

  1. Beautiful bhajan..
    I love all your bhajans :)
    Thank you for sharing this here.

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  2. आँखों से निकलते ना कभी बिंदु के मोती,
    निर्गुण का सगुण से जो बंधा तार ना होता।
    👌🏻👌🏻👌🏻

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  3. Aapke bhajan Bahut hi ache hai

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