Sunday, 7 April 2019

Maa kaise prasann hoti ho

 यह गाना मैंने स्वयं लिखा है |

मैं  कैसे जानू माँ, तुम  कैसे प्रसन्न होती हो ,
कैसे प्रसन्न होती हो, माँ कैसे खुश होती हो |

लवंग कपूर की ज्योति जलाई, फिर भी तुम नहीं पड़ी दिखाई,
संतों जैसे निर्मल मन से, तेरी पूजा होती है |
मैं  कैसे जानू माँ......

लाल चुनरिया काढ़ के मैंने, तुमको है पहनाई,
माथे रोली मैंने लगायी, माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं  कैसे जानू माँ......

नीचे जौ की बेदी बनायी, ऊपर कलश धरायी,
बड़े मुश्किल में  तेरे सामने, अखंड दीप हूँ जलाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं  कैसे जानू माँ......

पान फूल और ध्वजा नारियल, भी मैंने है चढ़ाई,
फूलों का गले हार बनाकर, तुमको मैं पहनाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं  कैसे जानू माँ......

हाँथ जोड़ नतमस्कतक हो कर, तुमको रही मनायी,
थोड़ा सा द्रवित हो जा मेरी मैया थोड़ा सा प्रसन्न हो जा मेरी मैया ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं  कैसे जानू माँ...... 

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