यह गाना मैंने स्वयं लिखा है |
मैं कैसे जानू माँ, तुम कैसे प्रसन्न होती हो ,
कैसे प्रसन्न होती हो, माँ कैसे खुश होती हो |
लवंग कपूर की ज्योति जलाई, फिर भी तुम नहीं पड़ी दिखाई,
संतों जैसे निर्मल मन से, तेरी पूजा होती है |
मैं कैसे जानू माँ......
लाल चुनरिया काढ़ के मैंने, तुमको है पहनाई,
माथे रोली मैंने लगायी, माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
नीचे जौ की बेदी बनायी, ऊपर कलश धरायी,
बड़े मुश्किल में तेरे सामने, अखंड दीप हूँ जलाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
पान फूल और ध्वजा नारियल, भी मैंने है चढ़ाई,
फूलों का गले हार बनाकर, तुमको मैं पहनाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
हाँथ जोड़ नतमस्कतक हो कर, तुमको रही मनायी,
थोड़ा सा द्रवित हो जा मेरी मैया थोड़ा सा प्रसन्न हो जा मेरी मैया ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
मैं कैसे जानू माँ, तुम कैसे प्रसन्न होती हो ,
कैसे प्रसन्न होती हो, माँ कैसे खुश होती हो |
लवंग कपूर की ज्योति जलाई, फिर भी तुम नहीं पड़ी दिखाई,
संतों जैसे निर्मल मन से, तेरी पूजा होती है |
मैं कैसे जानू माँ......
लाल चुनरिया काढ़ के मैंने, तुमको है पहनाई,
माथे रोली मैंने लगायी, माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
नीचे जौ की बेदी बनायी, ऊपर कलश धरायी,
बड़े मुश्किल में तेरे सामने, अखंड दीप हूँ जलाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
पान फूल और ध्वजा नारियल, भी मैंने है चढ़ाई,
फूलों का गले हार बनाकर, तुमको मैं पहनाई ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
हाँथ जोड़ नतमस्कतक हो कर, तुमको रही मनायी,
थोड़ा सा द्रवित हो जा मेरी मैया थोड़ा सा प्रसन्न हो जा मेरी मैया ,
माँ फिर भी ना पड़ी दिखाई |
मैं कैसे जानू माँ......
Speechless
ReplyDeleteBhakton ke bhaav ko shabdon me utar deti hai aap
ReplyDeleteBhaav vibhor kar diya aapke is bhajan ne
ReplyDelete😍
ReplyDeleteJai durge
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