जपाकर जपाकर जपाकर जपाकर
हरि ॐ तत्सत , हरि ॐ तत्सत ||
दुष्टों ने लोहे का खम्भा रचा था ,
तो प्रह्लाद निर्दोष क्यू कर बचा था ,
करी थी विनय एक स्वर से जो उसने ,
हरि ॐ तत्सत , हरि ॐ तत्सत ,
जपाकर .....
लगी आग लंका में हलचल मची थी ,
तो फिर घर विभीषण का कैसे बचा था ,
लिखा था यही शब्द कुटिया पे उसके,
हरि ॐ तत्सत , हरि ॐ तत्सत ,
जपाकर .....
हलाहल का मीरा ने प्याला पिया था ,
उसे विष से अमृत कैसे किया था ,
मीरा दीवानी इसी नाम की थी ,
हरि ॐ तत्सत , हरि ॐ तत्सत ,
जपाकर .....
हरी ॐ में इतनी शक्ति भरी थी ,
गरुण छोड़े धाए ना देरी करी थी ,
बढ़ा चीर उसने यही रंग रंगा था ,
हरि ॐ तत्सत , हरि ॐ तत्सत ,
जपाकर .....
Melodious
ReplyDeleteNice
ReplyDelete