Wednesday, 5 December 2018

Hari Om tatasat



जपाकर जपाकर जपाकर जपाकर
 हरि  ॐ तत्सत , हरि  ॐ तत्सत  ||

 दुष्टों ने लोहे का खम्भा रचा था ,
 तो प्रह्लाद निर्दोष क्यू कर बचा था ,
 करी थी विनय एक स्वर से जो उसने ,
 हरि  ॐ तत्सत , हरि  ॐ तत्सत ,
जपाकर .....

लगी आग लंका में हलचल मची थी ,
तो फिर घर विभीषण का कैसे बचा था ,
लिखा था यही शब्द कुटिया पे उसके,
हरि  ॐ तत्सत , हरि  ॐ तत्सत ,
जपाकर .....

हलाहल का मीरा ने प्याला पिया था ,
उसे विष से अमृत कैसे किया था ,
मीरा दीवानी इसी नाम की थी ,
हरि  ॐ तत्सत , हरि  ॐ तत्सत ,
जपाकर .....

हरी ॐ में इतनी शक्ति भरी थी ,
 गरुण छोड़े धाए ना देरी करी थी ,
बढ़ा चीर उसने  यही रंग रंगा था ,
हरि  ॐ तत्सत , हरि  ॐ तत्सत ,
जपाकर .....






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