इस गाने के बोल मैंने स्वयं लिखे हैं |
श्याम मनोहर से मन को लगया नहीं ,
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं |
सुयश उनका श्रवण में समाया नहीं ,
कीर्ति गुणगान उनका जो गाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
ध्यान में उनके यदि तू लुभाया नहीं ,
उनके चरणों की सेवा में आया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
उनके अर्चन का अनुराग छाया नहीं ,
द्वार पे उनके सिर को झुकाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
प्रेम में उनके जीवन बिताया नहीं ,
वेदनामय ह्रदय को बनाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
उनके विरहा अग्नि में तन जलाया नहीं,
तो मज़ा तूने .....
श्याम मनोहर से मन को लगया नहीं ,
तो मज़ा तूने नर तन का पाया नहीं |
सुयश उनका श्रवण में समाया नहीं ,
कीर्ति गुणगान उनका जो गाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
ध्यान में उनके यदि तू लुभाया नहीं ,
उनके चरणों की सेवा में आया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
उनके अर्चन का अनुराग छाया नहीं ,
द्वार पे उनके सिर को झुकाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
प्रेम में उनके जीवन बिताया नहीं ,
वेदनामय ह्रदय को बनाया नहीं |
तो मज़ा तूने .....
उनके विरहा अग्नि में तन जलाया नहीं,
तो मज़ा तूने .....